Wednesday, September 29, 2010

मेरी माँ .. -- Dr Nutan - NiTi

   मेरी माँ    


रात के सघन अंधकार में,
तेरे आंचल के तले,
थपकियो के मध्य,
लोरी की मृदु स्वर-लहरियों के संग,
मैं बेबाक निडर सो जाती थी माँ |


और नित नवीन सुबह सवेरे
उठो लाल अब आंखें खोलो
कविता की इन पंक्तियों के संग
वात्सल्य का मीठा रस घोले
बंद पलकों पे स्नेह चुंबन देती
मेरे दिन और मेरी रातों को
सार्थक बना देती थी तू माँ


बुरे वक़्त में भी साहस से
सदा सत्य का थामो हाथ,
खुद एक रोटी कम खा लेना पर,
परहित के लिए बढ़ाए रखना हाथ
नैतिकता के मूल्य को स्वीकारो
ऐसी सीख सिखाती थी माँ ||


कर्मठ, साहस, दया,ज्ञान ,
सम्मान, सहायता, जन कल्याण
नित नैतिकता-मानवता का सिंचन
कर किया हमारा भी उद्धार ||


तुम सुन्दरता की मूरत थी
तुम देवी की सूरत थी
तूम सतत प्रेमिका पत्नी थी
तुम वात्सल्य की मूर्ति थी
प्रेम आलिंगन में भी रख हमको तुम
कठिनतम राहों पर ऊंचा उड़ो
ऐसा हौन्श्ला भरती थी माँ ||


सहज सुंदर शालीन कोमल
ऐसी मेरी जननी माँ
मृत्योपरांत भी सदा की तरह
मन-भावन रही मुस्कराती माँ
दुःख में भी सुख का अहसास भरो
ऐसी सीख सिखाती माँ ||


तुम माँ सदा संग मेरे हो
आदर्श तुम्हारे खो दूं गर
ऐसा दिन न आए माँ कि तुमसे जुदा हो जाऊं तब मै
..नहीं माँ नहीं ..
माँ मैं तेरी दी प्रेरणा को दोहराऊंगी
आदर्श मार्ग पर चलते, मै सदा-सदा मुस्कराऊंगी ||


माँआआआअ ~~~~~~~~~~~~















My Mother - Mrs Rama Dimri
मेरी माँ "श्रीमती  रमा  डिमरी " पहाड़ी नथ में |
कविता लिखी गयी माँ की तीसरी वर्षी पर .. आज श्राद्धपक्ष में  माँ की पुण्य तिथि पर (तिथि -६ )

Wednesday, September 22, 2010

खुद से खुद की बातें .. Dr Nutan Gairola

                                          खुद से खुद की बातें
                               मेरे  जिस्म  में जिन्नों का डेरा है |
कभी ईर्ष्या उफनती,
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद - मोह,
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते || 

पर न हारी हूँ कभी |
सर्वथा जीत रही मेरी,
क्योंकि रोशन दिया
रहा संग मन  मेरे,
मेरी रूह में ,
ईश्वर का बसेरा है ||

स्वरचित - द्वारा - डॉ नूतन गैरोला  11-09-2010  17:32

Friday, September 17, 2010

Without You .. by Dr Nutan Gairola " Amrita "

Without you 
Without you, I m here, feeling meaningless.
Without you, though  on the top of the world  still feeling loneliness,
Without you, I m full of emotions yet speechless,
Without you, everyone consoles me but I m feeling hopeless.
Come and embrace me......O Maa !
Without you my soul is bodiless -
Without you O Maa....Without you.

Written by - Dr Nutan Gairola .. In the memory of My Beloved Mother

Tuesday, September 14, 2010

थका परिन्दा - तरसतीं आँखें .. रचना - डॉ नूतन गैरोला


   थका परिन्दा - तरसतीं आँखें  
.
.
तेरी याद में दिन इक पल सा ओझल होने को है |
और अब शाम आई नहीं है के सहर होने को है ||
.

.
मेरे सब्र का थका परिन्दा टूट के गिरने  को  है |
दीदार को तरसती आंखे और पलकों के परदे गिरने को है ||
.

.
चिरागों से कह दो न जलाये खुद के दिल को इस कदर |
के रोशनी  का इस दिल पर अब ना असर कोई होने को है ||

.
.
मेरी ये पंक्तिया उन थके माता पिता को समर्पित है जिनके बच्चे बड़े होने पर गाँवों में या कही उनेह छोड़ कर चले जाते है अपनी रोजी रोटी के लिए और इस भागमभाग में कहीं बुढे माता - पिता उनकी आस में उनकी यादो के साथ उनका इन्तजार करते रह जाते है.. .....
डॉ नूतन गैरोला 12/जूलाई /2010 ..१०:०० बजे रात्री
photo - google

आशा की किरणें -- Dr Nutan Gairola "amrita"

रात के  गहन  अन्धकार में  
आसमान  के  असीम विस्तार में |..

नहीं दिखता है अभी  तुम्हें 
धुंधला  रहस्य बिन्दु   निशा पटल पे |..

जहाँ से चीर के आएगी जिंदगी
स्वर्णिम आभा के संग किरणों की फुहार में |..

यकीन करना होगा बस तुम्हें ,
सूरज के प्रकाश में ,कुछ और बस .. 
 ....कुछ और पल के इन्तजार में !!

द्वारा -डॉ नूतन गैरोला -- १४=०९=२०१०   ००:३५

Sunday, September 12, 2010

खुद से खुद की बातें ||.. द्वारा - डॉ नूतन गैरोला

मेरे जिस्म में प्रेतों का डेरा है
कभी ईर्ष्या उफनती,
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद - मोह,
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते ||


पर न हारी हूँ कभी |
सर्वथा जीत रही मेरी,
क्योंकि रोशन दिया
रहा संग मन  मेरे,
मेरी रूह में ,
ईश्वर का बसेरा है ||

स्वरचित - द्वारा - डॉ नूतन गैरोला  11-09-2010  17:32फोटो - खुद के केमरे से      

                                                              फोटो गूगल सर्च  .

एक मीठी नींद के लिए आगाज.... Dr Nutan Gairola


 एक मीठी नींद के लिए आगाज


जब   चाँद   गगन   पर   आने  लगे , 
और रात का अँधेरा शर्माने लगे  |   
तुम एक नीलिमा सी बन फूलों की,  
मेरे सपनो में आ गुनगुनाने   लगे  |  
 पलकों   को  परियां  झुलाने   लगे ,
मीठी निंदिया हिलोरे लगाने लगे ||  


.........by nutan
एक मीठी नींद  के   लिए आगाज .have a sound n soothing sleep.. Good Night...Dr Nutan Gairola...
feb 13 - 2010
फोटो  सौजन्य  -गूगल इमेज  
पोस्टेड इन ब्लॉग ओं   १२ / ०९/ २०१० ...१२ : २५

Thursday, September 9, 2010

" खतरा है - होशियार ! खबरदार " ...एक लेख ..डॉ नूतन

" खतरा है - होशियार ! खबरदार "







नेट -

जी हां - जिसका नाम ही नेट है मतलब कि जाला - जो इस नेट / जाले में गिरा वो फंसा |

चाहे जाल पक्षी को पकड़ने के लिए फैंका गया हो, या फिर जानवर या कीट पतंगों के लिए - जाल पड़ा नहीं कि फंसा |

मैंने मकड़ियो के जालो में फंसे कीड़ो को तडपते देखा है - फंसते चले जाते है जालों के तानो बानो में और मकड़ी के हाथ काल के ग्रास बन जाते है |

पर इन्टरनेट का जाला इन जालो से भी खतरनाक - स्वयं आदमी द्वारा निर्मित - जहाँ आदमी स्वेच्छा से आता है पर हर एक सरल क्लिक के साथ अलग अलग किस्म के जालो में धंसता चला जाता है |

गनीमत है कि वो वहां अटका ही रहे - बड़ी बात कि वो बाहर निकल जाये - लेकिन वो फंसता ही चला जाता है |

ये जाले एक से एक रंगीन तानो बानो का बुना होता है - बड़ा आकृष्ट करने वाला लुभावना होता है

और सजे रहते है विभिन्न सजावटी सामानों से मसलन कि कहीं जानकारियों का अड्डा, कहीं लेख, कही गाने, कहीं चित्र, कहीं मित्र आदि - लेकिन सभी काल्पनिक , जब तक कि हकीक़त में न हो अपने पास - जैसे कि काल्पनिक गाजर का हलुवा का एक चित्र, लीजिये उड़ा लीजिये मजा नेट के मित्रो के साथ लेकिन काल्पनिक

और अगर मानवीय भावनाओं का रंग चढ़ा कर पेश किया जाए तो ? आदमी इस भूल भुलैया में फंसता चला जाता है और हकीक़त से दूर दूर होता चला जाता है |

काल्पनिक संसार की हकीक़त ही में जीने लगता है |

तब सुख दुःख भी वहाँ सुख दुःख के साथी भी वहाँ |

अच्छे साथी मिले तो काल्पनिक संसार कि वास्तविकता में ख़ुशी आ जाती है और वास्तविक मित्रता भी हो जाती है ,

पर ज्यादातर गाजर के हलुवे के चित्र की हकीक़त जैसे - मुखौटो के संग |

ऐसे में मानवीय भावनाओं का शोषण होने का पूर्ण खतरा , मानसिक उत्पीड़न का भय और दिल टूटने की पीड़ा |

इंसान मुक्ति के लिए हाथ पैर पटकता है पर मोह जाल जैसा ये जाला - जाला भी क्या करे उसने तो नहीं कहा था कि तुम आओ, जो अब कह दे कि अब चले जाओ

और कुछ अदद मकड़े आदमी का मुखौटा लगाये तैयार खड़े इस भोले आदमी का निवाला बनाने l बेचारा आदमी, जालों के चक्रव्यूह को तोड़ कर वापस नहीं लौट पाता - ऐसे में मनोचिकित्सक भी क्या ख़ाक करेंगे इस दर्द का इलाज

दवाइयों का सहारा

कांच फर्श पर गिर जाये तो आवाज होती है पर यहाँ तो बिना आवाज के सब कुछ टूट जाता है - लो बैठे बिठाये घर के कमरे में ही मुसीबत |टूट जाती है इंसानी फितरत ,यकीन , रिश्ते - पर नहीं टूटता है तो ये जाला |

जाल और दमकता जाता है नित नए नए रंगों के साथ और हर रोज हजारो नए इंसानी कीड़े इस जाले के अन्दर घुसते है और ये सिलसिला बदस्तूर यूं ही चलता रहता है हर क्लिक के साथ
कुटिल समझदार लोगो के लिए है ये दरवाजा - जो दिमाग से बोलते हैं |
जो दिल से बोलते  हैं  और दुसरे पर भी ऐसा ही यकीन करते हैं, ऐसे सीधे सच्चे इंसान नेट / जाल में बैठे मकड़ों का शिकार हो जाते  हैं | 

" खतरा है - होशियार ! खबरदार "

.....Dr Nutan  .. 09/092010 .. 6:30 A:M








Tuesday, September 7, 2010

कृष्ण तुम हो कहाँ ?............ डॉ. नूतन "अमृता "



कृष्ण तुम हो कहाँ ?

तुम कौन ?
तुम कौन जो धीमे सा एक गीत सुना देते  हो  ,
मन के अन्दर एक रोशन  करता दीप जला देते  हो
बंद कर ली मैंने सुननी कानों से आवाजें ,
जब से सुन ली मैंने अपने दिल की ही आवाजें |


तुम भूखे बच्चो के मुंह से निकली क्रंदन वेदना सी,
तुम जर्जर होते अपेक्षित माँ बापू के विस्मय सी
तुम पेट की भूख की खातिर दौड़ते बेरोजगार युवा सी,
तुम खुद को स्थापित करती एक नारी की कोशिश सी,
तुम आतंकियों की भेदी लाशो की निरीह आत्मा सी ...



तुम हो दर्द चहुँ दिशा फैला,
क्यों मन मेरे प्रज्वलित हुवा है,
धधका जाता है मेरे मन में फैला हुवा इक भय सा,
मैंने बंद कर ली है कानो से सुननी वो आवाजें
आत्म चिंतन - मंथन पीड़ा की,
दूर करे जो इस जग से मेरे
वो अवतरित हुवा इस युग का कृष्ण,
तुम हो या तुम हो या -

तुम में कौन ? ...........By Dr Nutan




कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण को पुकार..
आज इस युग में हमें कृष्ण की बहुत जरुरत है समाज में छाई बुराइयों का अंत करने के लिए .. और वो कृष्ण हम में भी विद्वमान है .. जरूरत है अपने अन्दर झाँकने की ..और अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की .. बुराइयों को पराजित करने की और हिम्मत सच का साथ देने की ॥ ... डॉ. नूतन "अमृता " 


by Dr Nutan .. 20:41 ..01 - 09 - 2010

तरोताजा दिन, चाय की चुस्कियों के संग...... nutan amrita


मृदु मंद सुगन्धित शीतल बयार हो,
आशाओं से सिंचित जीवन के तार हो,
कर्म में सृजनता व दिल में लगाव हो,
प्रफुल्लित मन हो खुशियों का संचार हो ..

शुभप्रभात और शुभदिवस की कामनाओं के साथ , आपका दिन अनुकूल हो ..
और हो एक तरोताजा दिन ..


मेरे पेज पर चाय के साथ स्वागत है आपका :))




चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

Sunday, September 5, 2010

.... * सुस्वागतम *.... डॉ नूतन गैरोला

by nutan on Sunday, May 16, 2010 at 11:17am



....... * सुस्वागतम *.......

पदार्पण मेरा प्रथम ,

शुभ हो मंगल उमंग |
ज्यू वारी बरसी मेघ बन
खिल उठे फूल रंग बिरंग ||


ॐ से हो साक्षात्कार ,
सत्य से जुड़ा रहे नाता अपार
लिखने की चेष्टा करती हूँ  , 
साथ रहे सरस्वती का वास हो ||

न चाहत है मन में
किसी यश की,
न ही चाहत किसी के संग की
बस तू देता रहे छाया प्रभू ,
अपने कल्याणकारी छत्र की ||

मंगल हो सुमंगल हो ,
सृष्टि का सृजन हो |
ले हाथ में छेनी तू
हर विनाश का विकल्प हो
माया ठगनी के कुरूप भंवर का
सुन्दर शिल्प में विलय हो
मोक्ष का उदय हो ||


प्रभु   खुशियों से भरा
आसमां भूमि और जल हो
प्राणी और सांसारिक
हर में जीवन हो जीवंत हो

पदार्पण मेरा प्रथम,
शुभ हो, मंगल हो, उमंग हो ||

डॉ नूतन गैरोला -- 04 =09=2010.

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